माता अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं, उसे जीतिया व्रत कहते हैं |इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहते हैं | इस व्रत को भारत के कुछ हिस्सों में और नेपाल में किया जाता हैं | भारत में बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता हैं | इस व्रत को माताए अपनी संतान के लिए निराहार और निर्जल उपवास करती हैं, मतलब बिना कुछ खाए-पीयें उपवास करती हैं |
यह कथा गंधर्वों के राजकुमार जिमुतवाहन नाम का एक दयालु राजा से संबंधित हैं | जिमुतवाहन एक राजा अपनी प्रजा से बेहद प्यार करत था, जिसने नाग जाती की रक्षा के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया था| हर साल गरुड़ नागों को खाता था और इस परंपरा को रोकने के लिए जिमुतवाहन ने खुद को गरुड़ के सामने खाने के लिए कहा | उस राजा के इस बलिदान को देखकर गरुड़ ने नागों को मारना बंद कर दिया| इस त्याग और बलिदान के कारण माताएं इस व्रत को अपने संतानों की रक्षा के लिए करती हैं| इस व्रत से बच्चों को दीर्घायु और सुखी जीवन प्राप्त होता हैं, ऐसी मान्यता हैं |
इस व्रत में तीन मुख्य विधि होते है:
पढ़ना जारी रखें
नवीनतम फ़ीड प्राप्त करें?