आप https://parivahan.gov.in/parivahan//en/content/licensing-related-fees-and-charges इस लिंक का उपयोग करके पता कर सकते हैं | लेकिन फिर भी में बात देती हूँ, इन चार्ज को भविष्य में बदला भी जा सकता हैं |
लर्नर लाइसेंस: आवेदन शुल्क: लगभग ₹200 (टेस्ट सहित)
पर्मनन्ट ड्राइविंग लाइसेंस: आवेदन शुल्क: लगभग ₹200 - ₹500, ड्राइविंग टेस्ट: लगभग ₹300
ड्राइविंग लाइसेंस का Renewal: लगभग ₹200 - ₹400
डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस: लगभग ₹200 - ₹400
आंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग परमिट: लगभग ₹1000
कृपया ध्यान रखे कि, भविष्य में इन शुल्क में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं |
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धरती पर राज करने के लिए मनुष्य इतना विकसित ही नहीं हुआ था की वो दुनिया पर राज कर सके | वह प्रारम्भिक जीवन जी रहा था | मनुष्य छोटे-छोटे समूहों में रहते थे और प्रकृति के साथ अपना जीवन जीते थे | वह शिकार और वनस्पतियों के आधार पर अपना पालनपोषण करता था |
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माता अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं, उसे जीतिया व्रत कहते हैं |इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहते हैं | इस व्रत को भारत के कुछ हिस्सों में और नेपाल में किया जाता हैं | भारत में बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता हैं | इस व्रत को माताए अपनी संतान के लिए निराहार और निर्जल उपवास करती हैं, मतलब बिना कुछ खाए-पीयें उपवास करती हैं |
यह कथा गंधर्वों के राजकुमार जिमुतवाहन नाम का एक दयालु राजा से संबंधित हैं | जिमुतवाहन एक राजा अपनी प्रजा से बेहद प्यार करत था, जिसने नाग जाती की रक्षा के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया था| हर साल गरुड़ नागों को खाता था और इस परंपरा को रोकने के लिए जिमुतवाहन ने खुद को गरुड़ के सामने खाने के लिए कहा | उस राजा के इस बलिदान को देखकर गरुड़ ने नागों को मारना बंद कर दिया| इस त्याग और बलिदान के कारण माताएं इस व्रत को अपने संतानों की रक्षा के लिए करती हैं| इस व्रत से बच्चों को दीर्घायु और सुखी जीवन प्राप्त होता हैं, ऐसी मान्यता हैं |
इस व्रत में तीन मुख्य विधि होते है:
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