शिवलिंग पर चढ़ा हुआ बेलपत्र खाने से क्या होता है?

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आर्यन वर्मा
आर्यन वर्मा
27 जुलाई 2024
संबंधित प्रश्न: बुधवार को शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए?

बुधवार के दिन भगवान शिव की पूजा करते समय कुछ विशेष वस्तुएं चढ़ाने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है|

  • दूध: शिवलिंग पर दूध चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है| यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी उपाय है|
  • जल: पवित्र जल चढ़ाने से भी शिव जी की कृपा प्राप्त होती है|
  • बेलपत्र: भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इसे चढ़ाने से विशेष फल प्राप्त होता है| यह कहा जाता है कि तीन पत्तियों वाला बिल्व पत्र शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं|
  • धतूरा: धतूरे का फूल भी भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं| इन्हें चढ़ाने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है|
  • चंदन का लेप: शिवलिंग पर चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है| यह भगवान शिव को शीतलता प्रदान करता है और पूजा में एक विशेष महत्व होता है|
  • चावल: शिवलिंग पर चावल(अक्षत) चढ़ाना भी शुभ माना जाता है| चावल को  शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है|
  • धूप और दीपक: शिवलिंग के सामने धूप और दीपक जलाना भी पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है| इससे वातावरण पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है|
  • पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण शिवलिंग पर चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है|

बुधवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं|

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साक्षी अग्रवाल
साक्षी अग्रवाल
11 दिसम्बर 2024 . 15 अंक कमाएं
संबंधित प्रश्न: एकादशी के दिन चावल और केला खाने से क्या होगा?

एकादशी के दिन चावल और केले को खाना आपके धर्म और परंपरा से जुड़ा है| हिंदू धर्म में माना जाता है कि चावल में पानी का अंश ज्यादा होता है, इसीलिए एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए| इससे शरीर में आलस्य आता है|
पौराणिक मान्यताओं  की बात करे तो चावल यह वरुणदेव से जोड़ा दिया गया है और उन्हे पानी की देवता भी माना जाता हैं| एकादशी पर वरुणदेव की पूजा नहीं की जाती, इसलिए कुछ लोग इस दिन चावल नहीं खाते है| केले को खाना वर्जित नहीं है, लेकिन लोग इसे भी खाते हैं|
आध्यात्मिक रूप से चर्चा करे तो एकादशी पर हल्का भोजन करना चाहिए | हल्के आहार से मन शांत रहता है और ध्यान में एकाग्रता प्राप्त होती है| चावल की बा करे तो यह भारी भोजन में गिना जाता है, इसलिए इसे न खाना लोग पसंद करते है|
इसलिए, एकादशी पर चावल और केला न खाना एक परंपरा का हिस्सा है, इसे खाए या न खाए यह आपकी मर्जी के ऊपर निर्भर करता हैं |

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