शिवलिंग पर चढ़ाए गए बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित किया जाता और इस वजह से उस बेलपत्र को पवित्र माना जाता है| लेकिन कृपया इस बेलपत्र को पानी से धोकर खाना उचित रहेगा |
अगर बेलपत्र के फ़ायदे की बात करे तो इसे हिन्दू धर्म मे एक पवित्र और औषधीय पौधा माना जाता है|बेलपत्र खाने के कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं |
बेलपत्र खाने से शरीर की गर्मी को कम करने के लिए उपयुक्त है | यह शरीर को ठंडक पहुंचाने मे मदद करता है |
बेलपत्र का सेवन पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है| यह कब्ज, डायरिया और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को कम करने में सहायता करता है|
बेलपत्र डायबिटीज वाले मरीजों के लिए लाभकारी हो सकता है| इसमें मौजूद तत्व रक्त की शर्करा का स्तर नियंत्रित करने में मदद करता हैं|
बेलपत्र का उपयोग श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा और सर्दी-खांसी में राहत दिलाने में किया जाता है| इसका सेवन बलगम को बाहर निकालने में मदद करता है और फेफड़े को साफ रखता है|
बेलपत्र से लिवर और किडनी का इलाज किया जाता है| यह लिवर को डिटॉक्सिफाई करता है और किडनी स्टोन को निकालने में मदद करता है|
बेलपत्र रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे हृदय स्वस्थ रहता है|
आप बेलपत्र का जूस बनाकर पी सकते हैं या सूखे बेलपत्र को पीसकर पाउडर बनाकर इसे पानी या दूध के साथ लें सकते है| इसकी चाय भी बना सकते हैं, जो पाचन और श्वसन संबंधी समस्याओं में राहत देती है|
जरूरी सूचना: बेलपत्र के सेवन से पहले किसी डाक्टर से परामर्श करना आवश्यक है, खासकर यदि आप किसी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं या कोई दवाई ले रहे हैं|
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एकादशी के दिन चावल और केले को खाना आपके धर्म और परंपरा से जुड़ा है| हिंदू धर्म में माना जाता है कि चावल में पानी का अंश ज्यादा होता है, इसीलिए एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए| इससे शरीर में आलस्य आता है|
पौराणिक मान्यताओं की बात करे तो चावल यह वरुणदेव से जोड़ा दिया गया है और उन्हे पानी की देवता भी माना जाता हैं| एकादशी पर वरुणदेव की पूजा नहीं की जाती, इसलिए कुछ लोग इस दिन चावल नहीं खाते है| केले को खाना वर्जित नहीं है, लेकिन लोग इसे भी खाते हैं|
आध्यात्मिक रूप से चर्चा करे तो एकादशी पर हल्का भोजन करना चाहिए | हल्के आहार से मन शांत रहता है और ध्यान में एकाग्रता प्राप्त होती है| चावल की बा करे तो यह भारी भोजन में गिना जाता है, इसलिए इसे न खाना लोग पसंद करते है|
इसलिए, एकादशी पर चावल और केला न खाना एक परंपरा का हिस्सा है, इसे खाए या न खाए यह आपकी मर्जी के ऊपर निर्भर करता हैं |
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