मेरा सीधा उत्तर है की प्रेगनेंसी के दौरान अनार खाने से बच्चे के रंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है| यह एक गलतफ़हमी है जो बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के फैली हुई है| अनार एक पौष्टिक फल है जिसमें कई महत्वपूर्ण विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जिससे माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य रह सकते है |
वैसे तो बच्चे का रंग मुख्य रूप से माता-पिता के जीन और आनुवंशिकता पर निर्भर करता है| अगर माँ या बाप मे से कोई सावला है तो बच्चे का सावला होना 99% सही है | उसके रंग के बजाय उसके स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान रखना चाहिए|
अनार में आयरन, विटामिन सी, विटामिन ब9(फोलेट), एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर जैसे पोषकतत्व होते है, जिससे माँ और बच्चे दोनों स्वस्थ रहते है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को अनार को अपने आहार में शामिल करना चाहिए |
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शिवलिंग पर चढ़ाए गए बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित किया जाता और इस वजह से उस बेलपत्र को पवित्र माना जाता है| लेकिन कृपया इस बेलपत्र को पानी से धोकर खाना उचित रहेगा |
अगर बेलपत्र के फ़ायदे की बात करे तो इसे हिन्दू धर्म मे एक पवित्र और औषधीय पौधा माना जाता है|बेलपत्र खाने के कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं |
बेलपत्र खाने से शरीर की गर्मी को कम करने के लिए उपयुक्त है | यह शरीर को ठंडक पहुंचाने मे मदद करता है |
बेलपत्र का सेवन पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है| यह कब्ज, डायरिया और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को कम करने में सहायता करता है|
बेलपत्र डायबिटीज वाले मरीजों के लिए लाभकारी हो सकता है| इसमें मौजूद तत्व रक्त की शर्करा का स्तर नियंत्रित करने में मदद करता हैं|
बेलपत्र का उपयोग श्वसन संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा और सर्दी-खांसी में राहत दिलाने में किया जाता है| इसका सेवन बलगम को बाहर निकालने में मदद करता है और फेफड़े को साफ रखता है|
बेलपत्र से लिवर और किडनी का इलाज किया जाता है| यह लिवर को डिटॉक्सिफाई करता है और किडनी स्टोन को निकालने में मदद करता है|
बेलपत्र रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे हृदय स्वस्थ रहता है|
आप बेलपत्र का जूस बनाकर पी सकते हैं या सूखे बेलपत्र को पीसकर पाउडर बनाकर इसे पानी या दूध के साथ लें सकते है| इसकी चाय भी बना सकते हैं, जो पाचन और श्वसन संबंधी समस्याओं में राहत देती है|
जरूरी सूचना: बेलपत्र के सेवन से पहले किसी डाक्टर से परामर्श करना आवश्यक है, खासकर यदि आप किसी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं या कोई दवाई ले रहे हैं|
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प्रेग्नन्सी के दौरान प्राइवेट पार्ट में दर्द होना आम बात है, इसमें शरीर मे हो रहे बदलाव, हार्मोनल बदलाव, रक्त प्रवाह का बढ़ना और पेट मे पल रहे बच्चे का सिर नीचे की ओर आना हो सकता है |
जैसे जैसे पेट में बच्चे का आकार बढ़ता है, वैसे वैसे योनि की जगह पर दबाव पड़ता है और इससे दर्द होता है | योनि की जगह पर मांसपेशियों में तनाव आने से भी दर्द हो सकता है | रक्त प्रवाह बढ़ने से वहाँ सूजन या दर्द हो सकता है |
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