मासिक धर्म के चक्र के दौरान गर्भधारण से बचने के लिए सुरक्षित समय उस चक्र के लंबाई पर होता है |
ओव्यूलेशन (अंडाशय से अंडा बाहर निकलना) आमतौर पर मासिक धर्म चक्र के बीच में होता है | अगर चक्र 25 दिनों का है, तो ओव्यूलेशन 11वें से 15वें दिन के बीच होता है| इस समय में गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक हो सकती है, क्योंकि इस समय अंडा निकलता है|
ओव्यूलेशन से 5 दिन पहले और ओव्यूलेशन के 1 दिन बाद तक गर्भधारणा संभावना अधिक होती है| 25 दिन के चक्र में, 9वें से 16वें दिन तक गर्भधारण की संभावना अधिक रहती है|
सुरक्षित समय की बात करे तो, चक्र के पहले 7 दिन, मतलब मासिक धर्म शुरू होने से लेकर 7वें दिन तक और ओव्यूलेशन के बाद का समय, मतलब 17वें दिन से चक्र के अंत तक 25वें दिन तक का समय सुरक्षित होता हैं |
यह बाते केवल एक अंदाजा है, इसके लिए अपने अपने डॉक्टर सलाह लेना अधिक उचित रहेगा |
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"ॐ शांति शांति शांति" इन चार शब्दों को हिन्दू धर्म में काफी महत्व है | जब किसी हिन्दू धर्मीय इंसान की मृत्यु हो जाती है , तो ॐ शांति शांति शांति का उच्चारण किया जाता है, लेकिन इस मंत्र के पीछे गहरा अर्थ छिपा है | इस मृत्यु हुए इंसान के आत्मा के शांति के लिए इस मंत्र से प्रार्थना की जाती है |
ॐ यह परमात्मा का प्रतिक है और इससे सभी प्रार्थनाओं की शुरुआत होती है | पहला शांति शब्द शरीर की शांति को दर्शाता है | दूसरा शांति शब्द मानसिक और भावनिक शांति के लिए होता है और तीसरा शांति शब्द आध्यात्मिक रूप से शांति प्रदान करने के लिए होता है |
मृत्यु के समय इस मंत्र का उच्चारण आत्मा की शांति के लिए और उसके आगे के जीवन में शांति के लिए प्रार्थना की जाती है | मृत्यु के कारण उसका परिवार को मानसिक शांति के लिए भी यह मंत्र होता है |
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धर्मो रक्षति रक्षितः का अर्थ यह होता है कि, जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी रक्षा धर्म करता है | इसका उल्लेख मनुस्मृति के 8 वे अध्याय के 15 वें श्लोक में लिखा है | वहाँ पर,
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः|
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्॥
इसका अर्थ ऐसा हैं कि, नष्ट हुआ धर्म ही नाश करता है और धर्म की रक्षा करने पर धर्म आपकी रक्षा करेगा| अगर नष्ट हुआ धर्म हमें नष्ट ना कर दे, इसलिए धर्म का कभी नाश नहीं करना |
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मैथिलीशरण गुप्त हिंदी साहित्य के द्विवेदी युग दौर के कवि माने जाते हैं| वे मुख्यतः खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे और उन्हें महात्मा गांधीजी ने "राष्ट्रकवि" के रूप में सम्मानित किया | उनकी साहित्यिक रचनाओं में देशभक्ति, सांस्कृतिक गौरव, और मानवता के प्रति प्रेम प्रमुख विषय रहे हैं| मैथिलीशरण गुप्त की प्रसिद्ध कृतियों में साकेत, पंचवटी और जयद्रथ वध शामिल हैं| उनका साहित्य हिंदी काव्य जगत में महत्वपूर्ण स्थान है और उन्होंने भारतीय संस्कृति के मूल्यों को उजागर किया|
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