निपाह वायरस क्या होता हैं, इसकी उत्पत्ति कहाँ से और कैसे हुई?

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शैलेश कुळकर्णी
शैलेश कुळकर्णी
19 सितम्बर 2024
संबंधित प्रश्न: पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति कैसे होती हैं?

पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति भूमध्य सागर और उसके पास के अटलांटिक (अंध) महासागर, कास्पियन सागर, और ब्लैक सी के क्षेत्रों में होती है| यह क्षेत्र उच्च दबाव क्षेत्र के प्रभाव में होता है और यहां से वायुमंडल में  हलचल शुरू होती है|

इसका सर्दियों के मौसम में भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम पर गहरा असर पड़ता है| इन क्षेत्रों में बनने वाले निचले दबाव के क्षेत्र से हवा में हलचल उत्पन्न होती है और यह हलचल पश्चिम से पूर्व की ओर चलने वाली तेज हवाओं (जेट स्ट्रीम) के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगती है| यह हलचल या विक्षोभ हवा के ऊपरी हिस्से में शुरू होती है और आगे बढ़ते-बढ़ते भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों तक पहुंचती है| जब यह पश्चिमी विक्षोभ भारत तक पहुंचता है, तो यह हिमालय की पर्वतमाला से टकरा जाता है| हिमालय एक विक्षोभ में बाधा उत्पन्न करता है, जिससे पश्चिमी विक्षोभ से भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में वर्षा या हिमपात के रूप में बदल जाता है |

पश्चिमी विक्षोभ से सर्दियों के दौरान उत्तर भारत मतलब जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश में बारिश और बर्फबारी होती है| लेकिन यह गेहूं जैसी रबी फसलों की खेती करने के लिए बहुत लाभकारी होता है |

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आयुष शुक्ला
आयुष शुक्ला
24 सितम्बर 2024
संबंधित प्रश्न: जीतिया व्रत कैसे, कब और कौन करता हैं, इसकी कहानी क्या हैं?

माता अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं, उसे जीतिया व्रत कहते हैं |इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहते हैं | इस व्रत को भारत के कुछ हिस्सों में और नेपाल में किया जाता हैं | भारत में बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता हैं | इस व्रत को माताए अपनी संतान के लिए निराहार और निर्जल उपवास करती हैं, मतलब बिना कुछ खाए-पीयें उपवास करती हैं |


2024 में जीतिया व्रत कब रखा जाएगा?

  • नहाय खाय - 24 सितंबर(आज)
  • उपवास- 25 सितंबर (निर्जल और निराहार व्रत)
  • पारण- 26 सितंबर को सूर्योदय के बाद व्रत तोडे

जीतिया व्रत की कथा:

यह कथा गंधर्वों के राजकुमार जिमुतवाहन नाम का एक दयालु राजा से संबंधित हैं | जिमुतवाहन एक राजा अपनी प्रजा से बेहद प्यार करत था, जिसने नाग जाती की रक्षा के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया था| हर साल गरुड़ नागों को खाता था और इस परंपरा को रोकने के लिए जिमुतवाहन ने खुद को गरुड़ के सामने खाने के लिए कहा | उस राजा के इस बलिदान को देखकर गरुड़ ने नागों को मारना बंद कर दिया| इस त्याग और बलिदान के कारण माताएं इस व्रत को अपने संतानों की रक्षा के लिए करती हैं| इस व्रत से बच्चों को दीर्घायु और सुखी जीवन प्राप्त होता हैं, ऐसी मान्यता हैं ​|


जीतिया व्रत कैसे करते हैं?

इस व्रत में तीन मुख्य विधि होते है:

  • नहाय खाय-व्रत के पहले तीन माताएं पवित्र नदी में स्नान करती हैं या घर में शुद्ध जल से स्नान करती हैं| इस दिन सात्त्विक भोजन किया जाता है, जिसमें खासकर  दाल-चावल का आहार होता हैं |
  • निर्जला-निराहार व्रत-दूसरे दिन माताएं बिना खाए-पिए उपवास करती हैं | इस दिन का महत्व अधिक होता हैं,  इसमें जिमुतवाहन राजा की पूजा की जाती है और उनकी कथा सुनाई जाती हैं| 
  • पारण-तीसरे दिन व्रत को तोड़ा जाता है| महिलाएं सूर्योदय के बाद स्नान करके भगवान को भोग अर्पित करती हैं और फिर खुद भोजन करती हैं|

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संबंधित प्रश्न: 'अलमारी' शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से हुई है?

दोस्त, ‘अलमारी’ शब्द की शुरुआत दरअसल अरबी भाषा से हुई है|

अरबी में “अल” का मतलब होता है the मतलब किसी चीज़ की ओर इशारा करना, और “मारी” या इससे मिलते-जुलते शब्दों का मतलब होता है सामान रखने की जगह|
धीरे-धीरे ये शब्द हिंदी में आ गया और बन गया ना “अलमारी”  यानी वो चीज़ जिसमें हम कपड़े, किताबें या और कोई जरूरी सामान रखते हैं|


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