यह इमेज 500 ml के बोतल से लिया गया हैं | इन सभी उपलब्धियों के अनुसार डाबर लाल तेल गर्म होता हैं |
डाबर लाल तेल में कौनसी आयुर्वेदिक दवाइयाँ होती हैं?
इसमें कपूर (Cinnamomum camphora), रतनजोत, माशा और तिल का तेल (Sesamum indicum) मौजूद होता हैं, जो गर्म तासीर के होते हैं | जिससे यह साबित होता हैं कि, सच में डाबर लाल तेल यह गर्म तासीर वाला तेल होता हैं |
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डाबर लाल तेल बहुत सारे लोग बच्चों की मालिश के लिए इस्तेमाल करते हैं और इसमे बच्चों की हड्डियों और मांसपेशियों को मज़बूत बनाने में के लिए नैसर्गिक जड़ी-बूटियाँ होती हैं|
हर बच्चे की त्वचा एक जैसी नहीं होती|
कुछ बच्चों को ये तेल बिल्कुल सूट नहीं करता है, इससे रैशस, जलन या लालपन हो सकता है, इसे गर्मियों के मौसम में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए |
अगर आप हर रोज़ इस्तेमाल कर रहे हो और बच्चे की स्किन बिलकुल ठीक है तो चिंता की ज़रूरत नहीं हैं ,
लेकिन अगर थोड़ी भी खुजली या जलन दिखे, तो तुरंत इसका इस्तेमाल बंद करे,इसके बजाय नारियल तेल का उपयोग करे |
आप इसका एक छोटा सा टेस्ट करके देखो , इसके लिए एक दिन अपने बच्चे के सिर्फ हाथ या पैर पर थोड़ा लगाकर देखो, अगर कोई रिएक्शन नहीं होता, तो आप उसके पूरे बॉडी पर लगा सके हैं |
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बहुत लोगों को और मुझे भी लगता है कि सूरज पीला, नारंगी या लाल रंग का दिखता है, खासकर यह पृथ्वी में बदलते mausam की वजह से होता है और यह हर रोज सुबह या शाम के वक्त| लेकिन असल में सूरज का असली रंग सफेद होता है|
जब सूरज की रोशनी अंतरिक्ष से सीधे पृथ्वी पर आती है तब उसमें सभी रंगों का मेल होता है, मतलब विज़िबल लाइट स्पेक्ट्रम के सारे रंग इसमें घुल जाते है, जब ये सारे रंग मिलते हैं, तो वो सफेद रंग बनता है|
अब जब सूरज की रोशनी पृथ्वी के वातावरण से होकर आती है, तो उसका कुछ हिस्सा इस वातावरण मे बिखर जाता है और इस प्रक्रिया को Rayleigh scattering कहते हैं, इस वजह से सूरज दिन में थोड़ा पीला लगता है और उगने और ढलते समय लाल नारंगी का दिखाई देता है|
इस प्रश्न का असली उत्तर है सफेद |
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यह आग की तापमान या गर्मी पर निर्भर होता है| जैसे-जैसे आग का तापमान बढ़ता है, उसका रंग भी बदलता है|
सबसे पहले हल्की लाल आग
फिर नारंगी और पीली आग
और फिर नीली आग होती हैं, यह सबसे गर्म आग होती है |
इसका कारण यह है कि नीली रोशनी की ऊर्जा लाल या पीली रोशनी से ज्यादा होती है| जब कोई चीज बहुत ज्यादा गर्म हो जाती है, तो वह नीला रंग दिखाने लगती है|
उदाहरण के लिए
गैस के चूल्हे में जो नीली आग दिखती है, वह बहुत गर्म होती है|
वेल्डिंग मशीन से भी नीली आग निकलती है, वह भी बेहद तेज तापमान वाली होती है और लोहे को १ सेकंड में पिघला देती है |
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