यह आग की तापमान या गर्मी पर निर्भर होता है| जैसे-जैसे आग का तापमान बढ़ता है, उसका रंग भी बदलता है|
सबसे पहले हल्की लाल आग
फिर नारंगी और पीली आग
और फिर नीली आग होती हैं, यह सबसे गर्म आग होती है |
इसका कारण यह है कि नीली रोशनी की ऊर्जा लाल या पीली रोशनी से ज्यादा होती है| जब कोई चीज बहुत ज्यादा गर्म हो जाती है, तो वह नीला रंग दिखाने लगती है|
उदाहरण के लिए
गैस के चूल्हे में जो नीली आग दिखती है, वह बहुत गर्म होती है|
वेल्डिंग मशीन से भी नीली आग निकलती है, वह भी बेहद तेज तापमान वाली होती है और लोहे को १ सेकंड में पिघला देती है |
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आग के कई सारे पर्यायवाची शब्द है | जैसे कि,
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बहुत लोगों को और मुझे भी लगता है कि सूरज पीला, नारंगी या लाल रंग का दिखता है, खासकर यह पृथ्वी में बदलते mausam की वजह से होता है और यह हर रोज सुबह या शाम के वक्त| लेकिन असल में सूरज का असली रंग सफेद होता है|
जब सूरज की रोशनी अंतरिक्ष से सीधे पृथ्वी पर आती है तब उसमें सभी रंगों का मेल होता है, मतलब विज़िबल लाइट स्पेक्ट्रम के सारे रंग इसमें घुल जाते है, जब ये सारे रंग मिलते हैं, तो वो सफेद रंग बनता है|
अब जब सूरज की रोशनी पृथ्वी के वातावरण से होकर आती है, तो उसका कुछ हिस्सा इस वातावरण मे बिखर जाता है और इस प्रक्रिया को Rayleigh scattering कहते हैं, इस वजह से सूरज दिन में थोड़ा पीला लगता है और उगने और ढलते समय लाल नारंगी का दिखाई देता है|
इस प्रश्न का असली उत्तर है सफेद |
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