मानवी हक्कों की रक्षा करने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

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सिद्धार्थ बंसल
सिद्धार्थ बंसल
10 दिसम्बर 2024 . 10 अंक कमाएं
संबंधित प्रश्न: मुझे मानवीकरण अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित ५० उदाहरण चाहिए |

जब हम निर्जीव चीजों, जानवरों, या प्रकृति की चीजों को इंसान की तरह सोचने, बोलने, या व्यवहार करने का गुण देते हैं, तो इसे मानवीकरण अलंकार कहते हैं| उदाहरणार्थ, नदी गुनगुनाती हुई बह रही थी, चाँद तारों से बातें कर रहा हैं|

और ५० उदाहरण,

  1. बादल आसमान में दौड़ रहे हैं|
  2. नदी गुनगुनाती हुई बह रही है|
  3. पेड़ हवा में नाच रहे हैं|
  4. समय किसी का इंतजार नहीं करता|
  5. पुस्तकें ज्ञान की गंगा बहा रही हैं|
  6. पर्वत सिर ऊँचा कर खड़े हैं|
  7. हवा कानों में कुछ कह रही है|
  8. समंदर लहरों से खेल रहा है|
  9. फूल खुशबू फैलाकर मुस्कुरा रहे हैं|
  10. धरती माँ अपने बच्चों को गोद में ले रही है|
  11. आँधियाँ गुस्से में गरज रही हैं|
  12. पंछियों के गीत सुनकर सुबह खिलखिला उठी|
  13. पतझड़ के पत्ते जमीन पर नृत्य कर रहे हैं|
  14. बारिश प्यार भरी फुहारें बरसा रही है|
  15. दीवारें भी अब सच बोलने लगी हैं|
  16. सूरज पहाड़ों से झाँक रहा है|
  17. किताबें अपने पन्ने खोलकर स्वागत कर रही हैं|
  18. सागर अपने किनारों को छूने की कोशिश कर रहा है|
  19. चिड़ियों का झुंड आसमान में चित्र बना रहा है|
  20. नदी अपने दोनों किनारों से बातें कर रही है|
  21. चाँदनी रात हर दिशा को रोशन कर रही है|
  22. घड़ी समय को पकड़ने की कोशिश कर रही है|
  23. फूल भँवरों से मस्ती कर रहे हैं|
  24. सूरज अपने प्रकाश से हर जगह को चूम रहा है|
  25. पहाड़ अपनी मजबूती का गर्व महसूस कर रहे हैं|
  26. बर्फ ने धरती को सफेद चादर ओढ़ा दी है|
  27. कलम सच्चाई लिखने को आतुर है|
  28. हवा पेड़ों के कानों में फुसफुसा रही है|
  29. आसमान बादलों से खेल रहा है|
  30. रात तारों से सजी एक दुल्हन की तरह लग रही है|
  31. नदी हर पत्थर से टकराकर शिकायत कर रही है|
  32. दीपक अंधकार से लड़ने को तैयार है|
  33. बिजली गुस्से में चमक रही है|
  34. घास की नोकें ओस की बूँदों को सहला रही हैं|
  35. नदी अपने किनारों को प्यार कर रही है|
  36. चिड़ियाँ सुबह को जगाने की कोशिश कर रही हैं|
  37. पत्थर भी अपनी चुप्पी तोड़ने को मजबूर हो गए|
  38. सूरज ने अपने हाथों से धरती को गर्मी दी|
  39. लहरें किनारों पर आकर अपनी कहानी सुना रही हैं|
  40. खेत अपने हरे-भरे रूप पर इतराते हैं|
  41. बारिश की बूँदें धरती पर नृत्य कर रही हैं|
  42. सड़कें मुसाफिरों का स्वागत कर रही हैं|
  43. पत्ते हवा के साथ गुफ्तगू कर रहे हैं|
  44. काले बादल दुखी होकर रोने लगे|
  45. झील पानी के साथ अपना मन हल्का कर रही है|
  46. सूरज अपनी गर्मी से दिन को जगाने लगा|
  47. सितारे रात के काले आसमान को सजाने लगे|
  48. दीवारें बीते समय की कहानियाँ सुनाने लगीं|
  49. सागर लहरों के माध्यम से अपनी भावनाएँ प्रकट कर रहा है|
  50. घड़ी की सुइयाँ दौड़ती हुई समय को पकड़ने की कोशिश कर रही हैं|

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