मैं तो कहता हूँ गर्भवती महिला को मंदिर जाना चाहिए | कोई धर्म या कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि, गर्भवती महिलाओं को मंदिर नहीं जाना चाहिए | यह केवल अफवाह है | लेकिन इससे गर्भवती को शारीरिक थकान हो सकती है या भीड़भाड़ के कारण संक्रमण हो सकता है और इसका परिणाम स्वाभाविक रूप से उसके गर्भ मे पल रहे बच्चे पर हो सकता है |
गर्भवती महिला को मंदिर के भीड़ से संक्रमण और मंदिर के सीढ़ियों पर चढ़ने-उतरने की वजह से थकान हो सकती है और इससे चक्कर आने से वह गिर सकती है | महिला स्वास्थ्य ठीक हो और उसे मंदिर जाने की इच्छा हो तो वह मंदिर जा सकती है | मंदिर जाने से गर्भ मे पल रहे बच्चे पर सकारात्मक परिणाम होगा |
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हिंदू धर्म में एकादशी यह एक महत्वपूर्ण उपवास होता है जिसमें भगवान विष्णु पूजा-अर्चना की जाती है | लेकिन कुछ लोगों के मन में इस व्रत में चाय पीनी है या नहीं, इसके बारें में संदेह है | बुजुर्गों से चलती आयी परंपरा से व्रत किया जाए तो, इसमें केवल फलाहार जैसे कि, फल, दूध, और सूखे मेवे को खाया जा सकता है और व्रत में चाय पीना उचित नहीं माना जाता क्योंकि इसमें चायपत्ती और चीनी जैसी चीजें होती हैं जो उपवास भंग हो जाता है, ऐसा बुजुर्ग कहते है |
लेकिन आज, कुछ लोग व्रत के दौरान चाय पिना उचित मानते है | इससे उपवास के दौरान ऊर्जा मिलती है |
मेरा यह कहना है कि, अगर उपवास ही करना हैं तो केवल दिन में एक बार ही शाकाहार भोजन करे और भगवान विष्णु का ध्यान करे | ऐसा करने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि भी होगी और इससे आपका मन शांत भी होगा | आधुनिक दुनिया में बदलाव भी जरूरी है |
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