छत्रपती शिवाजी महाराज की मृत्यु 3 अप्रैल 1680 को रायगढ़ किले पर हुई थी| उनकी मृत्यु के बारे में इतिहासकारों में अभी भी मतभेद हो रहे हैं, जिनमें से अधिकांश इतिहासकार और विद्वानों का यह कहना हैं कि उनकी मृत्यु बीमारियों के कारण हुई और अन्य इतिहासकारों का कहना है कि उन्हे विष देकर मारा गया|
पहला मत यह है कि, छत्रपती शिवाजी महाराज की मृत्यु का कारण उनकी बीमारी थी| शिवाजी महाराज को कुछ समय से बुखार और पेचिश जैसी बीमारियों ने घेर लियाथा| ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, उनकी स्वास्थ्य स्थिति धीरे-धीरे खराब हो रही थी और आखिर मे उनकी मृत्यु हो गई| इस मत का समर्थन करने वाले विद्वानों में जदुनाथ सरकार हैं, जिन्होंने अपनी पुस्तक "Shivaji and His Times" में विस्तार से बताया गया है|
दूसरा मत यह है कि, छत्रपती शिवाजी महाराज की मृत्यु उनके खिलाफ रची गई साजिश थी | उन्हे भोजन के माध्यम से विष देकर मारा गया था| लेकिन इसके बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं और इतिहासकार इस घटना को समर्थन नहीं देते|
संदर्भ:
Shivaji and His Times by J. A.Sarkar
https://archive.org/details/shivajihistimes00sarkrich/page/n9/mode/2up
(छत्रपती शिवाजी महाराज - काळ आणि कर्तृत्व) https://www.amazon.in/Chhatrapati-Shivaji-His-Times-Marathi/dp/8195978495
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राजस्थान में महिला संतों में मीरा बाई, महामती प्रभा, संत श्यामा (स्वर्ण कंवर), श्यामा बाई और सुजाजी बाई यह प्रमुख संत हो चुके हैं | इनमें से संत मीरा बाई और संत श्यामा के चरित्र चित्रण चंद शब्दों में दिया है |
मीरा बाई एक महान कवियित्री और भगवान कृष्ण की उपासिका थीं| उनका जन्म राजस्थान के मेड़ता में हुआ था| उन्होंने अपना जीवन भगवान कृष्ण को समर्पित किया और अपने भजनों के माध्यम से भक्ति आंदोलन में योगदान दिया| मीरा बाई को उनकी आध्यात्मिकता, काव्यशैली, और सामाजिक बंधनों के प्रति उनकी सोच के लिए जाना जाता है|
स्वर्ण कंवर, जिन्हें संत श्यामा के नाम से भी जाना जाता है, यह राजस्थान की एक प्रमुख संत थीं| वे अपने आध्यात्मिक ज्ञान, तपस्या, और समाज सुधार के कार्यों के लिए प्रसिद्ध थीं| संत श्यामा ने लोगों को धर्म के प्रति जागरूक किया और सामाजिक समरसता की भावना को बढ़ावा दिया| उनका जीवन समाज सेवा और आध्यात्मिकता का एक आदर्श उदाहरण था|
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