महाभारत यह एक ऐसा महाकाव्य है जो केवल ऐतिहासिक या धार्मिक कथा नहीं है, बल्कि इसमें जीवन के सभी पहलुओं का सारांश बताया गया है, इसलिए इसे गतिशील ग्रंथ कहते है | महाभारत में दिए गए सभी घटनाएँ और पात्र, आज भी प्रेरणादायी माने जाते हैं|
महाभारत में जीवन के हर पहलू को दर्शाया गया है, जैसे धर्म, अधर्म, राजनीति, नैतिकता, कर्तव्य, परिवार, समाज, युद्ध, शांति, और अध्यात्म| ये सब जीवन के ऐसे घटक हैं जो समय के साथ बदलते रहते हैं, परंतु महाभारत के सिद्धांत और शिक्षाएँ सभी समयों में लागू होती हैं|
महाभारत के पात्र जैसे अर्जुन, कृष्ण, द्रौपदी, भीष्म, दुर्योधन, कर्ण आदि, मानवीय स्वभाव के अलग-अलग स्वभाव है, इनमें प्रेम, घृणा, लोभ, क्रोध, सहानुभूति, क्षमा दिखाई देती हैं| ये सभी पात्र गतिशील हैं और उनके जीवन से जुड़ा संघर्ष आज के जीवन से जुड़ता हुआ महसूस होता है|
महाभारत में धर्म और नैतिकता के बारे में बताया गया है | धर्म का पालन करना कितना कठिन होता है और हर समय इसमें सत्य-असत्य के बीच संघर्ष होता रहता हैं इसलिए इस ग्रंथ को एक गतिशील और अस्थिर नैतिकता का ग्रंथ माना जाता है|
महाभारत यह राजनीति और कूटनीति का एक उदाहरण हैं, जो आज भी किसी भी राजनीतिक व्यवस्था या समाज से संबंधित हैं|
महाभारत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा भगवद गीता है, जो अर्जुन और कृष्ण के बीच एक संवाद है | गीता में जो अर्जुन को जो ज्ञान दिया गया है, वह केवल युद्ध नहीं है,बल्कि जीवन के हर पहलुओं से संबंधित है| इसमें जो ज्ञान की बातें कही गई हैं वह हर समय और हर व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी है और मार्गदर्शन का काम करती है |
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माता अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं, उसे जीतिया व्रत कहते हैं |इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहते हैं | इस व्रत को भारत के कुछ हिस्सों में और नेपाल में किया जाता हैं | भारत में बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता हैं | इस व्रत को माताए अपनी संतान के लिए निराहार और निर्जल उपवास करती हैं, मतलब बिना कुछ खाए-पीयें उपवास करती हैं |
यह कथा गंधर्वों के राजकुमार जिमुतवाहन नाम का एक दयालु राजा से संबंधित हैं | जिमुतवाहन एक राजा अपनी प्रजा से बेहद प्यार करत था, जिसने नाग जाती की रक्षा के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया था| हर साल गरुड़ नागों को खाता था और इस परंपरा को रोकने के लिए जिमुतवाहन ने खुद को गरुड़ के सामने खाने के लिए कहा | उस राजा के इस बलिदान को देखकर गरुड़ ने नागों को मारना बंद कर दिया| इस त्याग और बलिदान के कारण माताएं इस व्रत को अपने संतानों की रक्षा के लिए करती हैं| इस व्रत से बच्चों को दीर्घायु और सुखी जीवन प्राप्त होता हैं, ऐसी मान्यता हैं |
इस व्रत में तीन मुख्य विधि होते है:
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