आज का सट्टा मटका डीपी बॉस का रिजल्ट क्या आया है ?

Avatar
लोड हो रहा है...

नवीनतम फ़ीड प्राप्त करें?

नवीनतम फ़ीड प्राप्त करें?

नवीनतम फ़ीड प्राप्त करें?

संबंधित प्रश्न: सट्टा मटका क्या है और इससे पैसे कैसे कमाए जाते है?

वैसे तो सट्टा मटका हर कोई खेलना चाहता है, इससे आदमी कम समय में ज्यादा पैसा कमा सकता है | इसे खेलने से पहले इसके बारे में जानकारी लेना जरूरी है | जानकारी लेकर ही आप अपना पैसा जोखिम में डाल सकते है |

सट्टा मटका ये एक प्रकार का जुआ है जो भारत के कोने-कोने मे मशहूर है | इसमें खिलाड़ी संख्याओं का चुनाव करके उन पर दांव लगाते हैं| खेल के नाम में "मटका" यह शब्द मिट्टी के बर्तन से आता है, क्योंकि पहले के जमाने में अलग-अलग संख्याओं की पर्चियाँ उस मटकी में रखी जाती थीं और खिलाड़ी उसे चुनते थे | इस खेल में सिंगल, डबल, ट्रिपल पन्ना और संगम ये चार प्रकार होते है | सिंगल में एक संख्या को चुनना होता है, जोड़ी में दो, पन्ना में तीन और संगम में इन तीन प्रकारों का संयोजन होता है |

सट्टा मटका से पैसा कमाने के लिए अपना पैसा दांव पर लगाना पड़ता है, गेम में आपको 0 से 9 तक की संख्याओं का चुनना पड़ता है | इन चुनी हुई संख्याओं पर पैसे को दांव रूप में लगाया जाता है | यदि चुनी हुई संख्या और उसके रिजल्ट एक जैसे होते है, तो वह जीत जाता है और दांव पर लगी राशि उसे मिलती है | ओपनिंग और क्लोज़िंग पन्ने के लिए परिणामों को दो बार घोषित किया जाता है |

ध्यान रखे, सट्टा मटका यह एक गैर-कानूनी गेम है, इसमें भाग लेकर आपको वित्तीय नुकसान हो सकता है और आप पर कार्रवाई भी की जा सकती है | इस खेल से दूर रहना ही बेहतर होगा |


पढ़ना जारी रखें

Avatar
लोड हो रहा है...
संबंधित प्रश्न: सट्टा मटका का king कौन है?

सट्टा मटका के बादशाह में केवल दो ही नाम मशहूर है एक हैं रतन खत्री और दूसरा कल्याणजी भगत | सट्टा मटका एक प्रकार का गैरकानूनी जुआ है, जिसकी शुरुआत मुंबई से  1960 के दशक में हुई थी और अभी भी इसे गैर-कानूनी तरीके से खेल जाता है |


रतन खत्री को सट्टा मटका का संस्थापक माना जाता है| पहले के जमाने में कपास का दर जुआ खेलके तय किया था और रतन खत्री ने उसे काल्पनिक उत्पाद दरों की घोषणा करके एस जुए को भारत के कोनों-कोनों में फैला दिया | वह हफ्तों के केवल पाँच दिन ही मटका चलाते थे | 1960 के दशक में, कागज़ के टुकड़ों में नंबर लिखकर उसे एक मटके में डालकर उन चिट्ठियों को चुना जाता था |


कल्याणजी भगत भी सट्टा मटका के किंग माने जाते है | उन्होंने 1962 में वर्ली में मटका शुरू किया | उनके बेटे सुरेश भगत ने उनके सट्टा मटका व्यवसाय को आगे बढ़ाया|

आज के दिन सट्टा मटका एक अवैध धंधा है, जिसपर सरकार ने पाबंदी लगाई है,लेकिन इसके बावजूद सट्टे को ऑनलाइन वेबसाईट के माध्यमों से खेला जाता है |

पढ़ना जारी रखें

Avatar
लोड हो रहा है...
मोहन घाडी
मोहन घाडी
05 अगस्त 2024
संबंधित प्रश्न: सट्टा मटका का इतिहास क्या हैं?

सट्टा मटका ये खेल गैर-कानूनी होने की वजह से लोगों को इसका इतिहास जानने की दिलचस्पी होती है  | दुनिया में सट्टा मटका की शुरुआत लगभग 1950 से हुई थी | लोग न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज और बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज के कपास के दरों पर सट्टा लगाते थे| बाद में 1961 को न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज ने यह सट्टा मटका बंद करवा दिया | यही तकनीक का इस्तेमाल करके रतन खत्री ने इस जुए का रूप दिया| उन्होंने अपनी कल्पना से मटके की सहायता से चिट्ठी उसमें डालकर निकालने की प्रक्रिया शुरू की और वह देश में फैल गई |

1980 और 1990 के बीच में सट्टा मटका का भूत नशेड़ियों के सर पे चढ़ गया | कुछ लोगों को इसकी लत लग गई थी और इससे झगड़े भी होते थे, इसलिए पुलिस; कानूनी कार्रवाई करते थे | इसमें बहुत सारे बूकि का धंधा बंद हो गया | इस खेल पर पाबंदी होने पर भी यह आज भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर खेल जाता है और शायद आपने सुर्खियों में बूकियों के नाम सुने भी होंगे, जिन्हे क्रिकेट मैच पर सट्टा लगाते गिरफ्तार किया जाता है |

पढ़ना जारी रखें

Avatar
लोड हो रहा है...