महंगाई भत्ता यह अतिरिक्त पैसा होता है जो सरकारी और कुछ कंपनी के कर्मचारियों को उनकी सैलरी के अलावा दिया जाता है| महंगाई बढ़ने से जो चीजें महंगी हो जाती हैं और उन चीजों की भरपाई के लिए महंगाई भत्ता दिया जाता है | उदाहरण के लिए, अगर खाने-पीने की चीजें, कपड़े, या अन्य चीजें महंगी होती हैं, तो महंगाई भत्ता से उनके सैलरी पर असर नहीं पड़ता |
यह समय-समय पर बढ़ती महंगाई के हिसाब से तय होता है कि कर्मचारियों को कितना भत्ता देना है | इसका अनुमान आमतौर पर Inflation Index से लगाया जाता है|
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महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) एक महत्वपूर्ण भत्ता है जिसे केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारियों को मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम करने के लिए दिया जाता है| यह भत्ता हर छह महीने में, अर्थात् जनवरी और जुलाई में जारी किया जाता है| केंद्रीय सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की घोषणा आमतौर पर वित्त मंत्रालय द्वारा की जाती है, जबकि राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों के लिए इसी प्रकार की घोषणा कर सकती हैं |
मार्च 2024 में, केंद्रीय सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए महंगाई भत्ता (DA - कर्मचारियों के लिए) और महंगाई राहत (DR - Dearness Relief- पेंशनर्स के लिए) में 4 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की भी | इस वृद्धि के बाद महंगाई भत्ता 46 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत हो गई है|
इसके कारण सरकारी खजाने पर सालाना 12,869 करोड़ रुपये तक का बोझ पड़ेगा| वर्ष 2024-25 के दौरान, अर्थात् जनवरी 2024 से फरवरी 2025 तक, इस बढ़ोतरी का कुल वित्तीय प्रभाव 15,014 करोड़ रुपये रहेगा|
राज्य सरकारें भी केंद्रीय सरकार की घोषणा के आधार पर अपने कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते की घोषणा करती हैं| उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते में 4 प्रतिशत की वृद्धि की है, जो जनवरी 2024 से लागू हुई है |
यह भत्ता कर्मचारियों को कुछ प्रतिशत के रूप में दिया जाता है, जिससे उनकी कुल वेतन में वृद्धि होती है और मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम किया जाता है|
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