विज्ञान और भगवान मतलब धर्म दोनों अलग-अलग विषय हैं | जब हम भगवान के अस्तित्व की बात करते हैं, तो विज्ञान और धर्म दोनों उसे अलग-अलग तरीके से देखते हैं|
विज्ञान किसी भी दावे को प्रमाण और परीक्षण के आधार पर मानता है| अगर विज्ञान के नजरिए से देखा जाए तो भगवान के अस्तित्व का कोई प्रमाण नहीं है |
विज्ञान ने ब्रह्मांड और जीवन के विकास के बारे में कई सिद्धांत विकसित किए हैं, वैज्ञानिकों के बहुत सारे संशोधन किए है, लेकिन उन्हे भगवान के अस्तित्व का कोई भी प्रमाण नहीं मिला है |
विज्ञान मुख्यतः ' कैसे' ,''क्यों और 'क्या' इन जैसे प्रश्नों का उत्तर देने की कोशिश करता है और उसे सिद्ध करता है उदाहरणार्थ, ब्रह्मांड कैसे काम करता है, जीवन कैसे विकसित हुआ, मनुष्य पहले कैसा था |
धर्म मे भगवान यह एक अलौकिक और सकारात्मक शक्ति के तौर पर माना जाता हैं| यह विश्वास आस्था, धार्मिक ग्रंथों, और परंपराओं पर आधारित होता है | कई लोग व्यक्तिगत और आध्यात्मिक अनुभवों के माध्यम से भगवान के अस्तित्व मानते हैं| ये अनुभव वैज्ञानिक परीक्षण और प्रमाण के दायरे में नहीं आते|
धर्म ग्रंथों और परंपराओं के माध्यम से भगवान को अलग-अलग रूप मे देखा जाता है| जैसे हिंदू धर्म में वेद और पुराण, इस्लाम में कुरान, और क्रिश्चन धर्म में बाइबल |
और आखिर में सवाल हैं कि विज्ञान के अनुसार क्या भगवान है या नहीं तो इसका जवाब हैं, विज्ञान प्रमाण और तर्कशास्त्र पर आधारित है, जबकि धर्म आस्था और विश्वास पर आधारित है| इसलिए, भगवान के अस्तित्व को लेकर विज्ञान ने अभितक कोई दावा नहीं किया है |
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