सट्टा मटका ये खेल गैर-कानूनी होने की वजह से लोगों को इसका इतिहास जानने की दिलचस्पी होती है | दुनिया में सट्टा मटका की शुरुआत लगभग 1950 से हुई थी | लोग न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज और बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज के कपास के दरों पर सट्टा लगाते थे| बाद में 1961 को न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज ने यह सट्टा मटका बंद करवा दिया | यही तकनीक का इस्तेमाल करके रतन खत्री ने इस जुए का रूप दिया| उन्होंने अपनी कल्पना से मटके की सहायता से चिट्ठी उसमें डालकर निकालने की प्रक्रिया शुरू की और वह देश में फैल गई |
1980 और 1990 के बीच में सट्टा मटका का भूत नशेड़ियों के सर पे चढ़ गया | कुछ लोगों को इसकी लत लग गई थी और इससे झगड़े भी होते थे, इसलिए पुलिस; कानूनी कार्रवाई करते थे | इसमें बहुत सारे बूकि का धंधा बंद हो गया | इस खेल पर पाबंदी होने पर भी यह आज भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर खेल जाता है और शायद आपने सुर्खियों में बूकियों के नाम सुने भी होंगे, जिन्हे क्रिकेट मैच पर सट्टा लगाते गिरफ्तार किया जाता है |
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